Select Your Language
भूपाळी गणपतीची
उठा उठा हो सकळित। वाचे स्मरावा गजमुख। ऋद्धिसिद्धींचा नायक। सुखदायक भक्तांसी।।धृ.।। अंगी शेंदुराची उटी। माथां शोभतसे कीरिटी। केशरकस्तूरी लल्लाटीं।हार कंठीं साजिरा।।1।।कानीं कुंडलांची प्रभा। चंद्र-सूर्य जैसे नभा।माजीं नागबंदी शोभा। स्मरतां उभा जवळी तो।।2।।कांसे पीतांबराची घटी। हातीं मोदकांची वाटी।। रामानंद स्मरतां कंठीं। तो संकटीं पावतो।।3।।