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खाटू श्याम चालीसा Khatu Shyam Chalisa Lyrics

hare ka sahara baba shyam hamara
, शनिवार, 15 फेब्रुवारी 2025 (16:19 IST)
बाबा खाटूश्याम चालीसा 
हिंदू धर्मात असे अनेक देवता आहेत ज्यांची जगभरातील लाखो भक्त पूजा करतात आणि त्यांना खूप आदर दिला जातो. अशीच एक प्रिय देवता म्हणजे खाटू श्याम, ज्यांना श्याम बाबा, तीन बाण धारी, निळा घोडा स्वार, प्रमुख दाता आणि बर्बरिक इत्यादी नावांनी देखील ओळखले जाते. खाटू श्यामचे मंदिर राजस्थानच्या सिकर जिल्ह्यात आहे. येथे दररोज लाखो भक्त त्यांच्या इच्छा पूर्ण करण्यासाठी येतात आणि त्यांचा असा विश्वास आहे की येथे आल्याने त्यांच्या इच्छा नक्कीच पूर्ण होतील. खाटू श्यामशी संबंधित विविध भक्ती पद्धतींपैकी एक म्हणजे खाटू श्याम चालीसा-
 
खाटू श्याम चालीसा पठण करण्याचे फायदे
 
आध्यात्मिक स्थान: खाटू श्याम चालीसा हे खाटू श्यामशी तुमचे आध्यात्मिक नाते अधिक दृढ करण्याचा एक शक्तिशाली मार्ग आहे. खाटू श्याम चालीसाचे नियमित पठण मनाला शांती देते आणि आजूबाजूचे वातावरण शुद्ध करते.
 
 
 
इच्छा पूर्ण होणे: खाटू श्यामच्या भक्तांचा असा विश्वास आहे की जर खाटू श्याम चालीसा पूर्ण भक्तीने पठण केले तर देव खाटू श्यामवर आशीर्वाद वर्षाव करतो आणि त्यांच्या इच्छा पूर्ण होतात.
 
 
 
 
संरक्षण आणि आशीर्वाद: असे मानले जाते की बाबा खाटू श्याम चालीसा पठण केल्याने नकारात्मक ऊर्जा दूर होतात आणि जीवनात दैवी कृपेचा अनुभव येतो.
 
Khatu Shyam Chalisa खाटू श्याम चालीसा
 
|| दोहा ||
 
श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द।
श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चैपाई छन्द।।
 
|| चौपाई ||
 
श्याम श्याम भजि बारम्बारा, सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई, दीन दयालु न दाता होई।
 
भीमसुपुत्र अहिलवती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया।
यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक न मानों इनमें अन्तर।
 
बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।
वसुदेव देवकी प्यारे, यशुमति मैया नन्द दुलारे।
 
मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविन्दा, दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा।
 
दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
नरहरि रूप प्रहलद प्यारा, खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।
 
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता, गोपी बल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चितचोर कहाये, माखन चोरि चोरि कर खाये।
 
मुरलीधर यदुपति घनश्याम, कृष्ण पतितपावन अभिराम।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
 
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा, दीनबन्धु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया, शेष महेश थके मुनियारा।
 
नारद शारद ऋषि योगिन्दर, श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता, नाम अपार अथाह अनन्ता।
 
हर सृष्टि हर युग में भाई, ले अवतार भक्त सुखदाई।
हृदय माँहि करि देखु विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा।
 
कीर पड़ावत गणिका तारी, भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी, भई श्राप वश शिला दुखारी।
 
श्याम चरण रच नित लाई, पहुँची पतिलोक में जाई।
अजामिल अरु सदन कसाई, नाम प्रताप परम गति पाई।
 
जाके श्याम नाम अधारा, सुख लहहि दुख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर, मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।
 
गल वैजयन्तिमाल सुहाई, छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती, शाम दुपहरि अरु परभाती।
 
श्याम सारथी सिके रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा, भीर परि तब श्याम पुकारा।
 
रसना श्याम नाम पी ले, जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा, अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।
 
श्याम प्रभु हैं तन के काले, मन के गोरे भोले भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी, रोग दोष अघ नाशै भारी।
 
प्रेम सहित जे नाम पुकारा, भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में है मथुरा वासी, पार ब्रह्म पूरण अविनासी।
 
सुधा तान भरि मुरली बजाई, चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।
वृद्ध बाल जेते नारी नर, मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।
 
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई, खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा, भव भय से पाया छुटकारा।
 
|| दोहा ||
 
श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।
 
।। इति श्री खाटू श्याम चालीसा समाप्त ।।

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