विडाघ्या हो नारायणा। कृष्णा जगत्रजीवना।
विनविते रखुमाबाई। दासी होईन मी कान्हा। विडा.।। धृ.।।
शांती हे नागवेली। पान घेऊनियां करीं।
मीपण जाळुनियां। चुना लावियेला वरी ।।विडा.।।1।।
वासना फोडुनियां। पूर्ण केली सुपारी।
भावार्थ कापुरानें। घोळियेली निर्धारीं।। विडा.।।2।।
विवेक-कातरंग। रंगीं रंगला सुरंग।
वैराग्य जायफळ। मेळविलें अभंग।।विडा.।।3।।
दया हे जायपत्री। क्षमा-लवंगा आणिल्या।
सुबुद्धि-वेलदोडे। शिवरामें अर्पियेले।।4।।