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कवि इज बॅक-1

कवि इज बॅक-1
, बुधवार, 1 जुलै 2015 (11:42 IST)
* कोकण में पिकता है हापूस
विदर्भ में बनता है कापूस
पूरी करो मेरी मंञीपद की हाउस 
नहीं तो ऐसेच पडेगा बीच बीच में पाउस
 
* आपका प्रेम बघकें .....
मेरे कों आश्रु आये घळाघळा...
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आणि...
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डोंगराला आग लागली....
पळा .....पळा.......पळा...
 
थंडी भी बहोत सुटी है,
आणि वारा भी बहोत सुटा है,
तुमको क्या सांगु...
इसलिए मै दुपारको उठा है
 
बचपनमे था खोकला 
तो मेरुकु औषध चाटवले.
 
बचपनमे था खोकला 
तो मेरुकु औषध चाटवले
 
आज फिर से आया खोकला 
इसलिए मेरुकु फिरसे आठवले
 
जो मुझे वोट देंगा उसको 
पिलाऊंगा मै ब्रौन वीटा.... 
जो मुझे वोट देंगा उसको 
पिलाऊंगा मै ब्रौन वीटा....
जो मुझे वोट नहीं देंगा उसको 
फेक के मारूंगा मै दगड-वीटा !!

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