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मार्गशीर्ष गुरुवार आरती श्री महालक्ष्मी देवीची

Mahalakshmi Stuti
जयदेवी जयदेवी जय लक्ष्मीमाता।
प्रसन्न होऊनिया वर देई आता।। धृ. ।।
 
विष्णुप्रिये तुझी सर्वांतरी सत्ता।
धन दौलत देई लक्ष्मीव्रत करिता।।1।।
 
विश्वव्यापक जननी तुज ऐसी नाही।
धावसी आम्हालाही पावसी लवलाही।। 2।।
 
त्र्यैलोक्य धारिणी तू भक्ता लाभे सुखशांती।
सर्व सर्वही दु:ख सर्व ती पळती ।।3।।
 
वैभव ऐश्वर्याचे तसेच द्रव्याचे ।
देसि दान बरदे सदैव सौख्याचे ।। 4।।
 
यास्तव अगस्ती बंधु आरती ओवाळी।
प्रेमे भक्तासवे लोटांगण घाली ।। 5।।
 
जयदेवी जयदेवी जय लक्ष्मीमाता।
प्रसन्न होऊनिया वर देई आता……

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