Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

संकटमोचन हनुमानाष्टक

Webdunia
रविवार, 21 एप्रिल 2024 (05:30 IST)
बाल समय रबि भक्षि लियो तब तीनहुं लोक भयो अंधियारो ।
ताहि सों त्रास भयो जग को यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब छां।डि दियो रबि कष्ट निवारो ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥१॥
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महा मुनि साप दियो तब चाहिय कौन बिचार बिचारो ।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास के सोक निवारो  ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥२॥
अंगद के संग लेन गये सिय खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु बिना सुधि लाए इहां पगु धारो ।
हेरि थके तट सिंधु सबै तब लाय सिया सुधि प्रान उबारो ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥३॥
रावन त्रास दई सिय को सब राक्षसि सों कहि सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥४॥
बान लग्यो उर लछिमन के तब प्रान तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब लछिमन के तुम प्रान उबारो ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥५॥
रावन जुद्ध अजान कियो तब नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥६॥
बंधु समेत जबै अहिरावन लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही अहिरावन सैन्य समेत संहारो ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥७॥
काज किये ब।ड देवन के तुम बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसों नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो ।
को नहिं जानत है जगमें कपि संकटमोचन नाम तिहारो ॥८॥
दोहा
लाल देह लाली लसे अरू धरि लाल लंगूर ।
बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर ॥
सियावर रामचन्द्र पद गहि रहुं ।
उमावर शम्भुनाथ पद गहि रहुं ।
महावीर बजरंगी पद गहि रहुं ।
शरणा गतो हरि ॥
॥इति गोस्वामि तुलसीदास कृत संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ॥

संबंधित माहिती

सर्व पहा

नवीन

शुक्रवारी या 4 गोष्टी करा, लक्ष्मीची विशेष कृपा राहील

शुक्रवारची आरती.... जयदेव जयदेव जय विघ्नाधीशा ॥

लाल रंग सकारात्मक की नकारात्मक? आध्यात्मिक आणि वैज्ञानिक महत्त्व जाणून घ्या

माता ब्रह्मचारिणी मंदिर काशी

अविवाहित आणि आकस्मिक मृत्यू झालेल्या पूर्वजांसाठी तर्पणचे नियम जाणून घ्या

सर्व पहा

नक्की वाचा

साप्ताहिक राशीफल 16 सप्टेंबर ते 22 सप्टेंबर 2024

14 सप्टेंबरपासून बुध नक्षत्र परिवर्तन, 3 राशींसाठी हा आठवडा चांगला राहणार

18 सप्टेंबरला शुक्र गोचरमुळे मालव्य योग, 3 राशींना मिळेल छप्‍पर फाड धन

जिवंत व्यक्ती स्वतःच श्राद्ध करू शकते का? माणसाने जिवंत असताना त्याचे श्राद्ध कधी करावे?

अनंत चतुर्दशी 2024: गणेश विसर्जनाची वेळ आणि योग्य पद्धत

पुढील लेख
Show comments