Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Bajrang Baan श्री बजरंग बाण पाठ, हनुमानजींना प्रसन्न करण्याचा सर्वात सोपा आणि शक्तिशाली उपाय

Bajrang Baan श्री बजरंग बाण पाठ  हनुमानजींना प्रसन्न करण्याचा सर्वात सोपा आणि शक्तिशाली उपाय
Webdunia
Bajrang Baan Paath हिंदू धर्मानुसार हनुमानजी हे जागृत देव आहेत, जेव्हा ते आनंदी असतात तेव्हा ते आपल्या भक्तांचे सर्व दुःख दूर करतात, भक्तांना कोणतीही भीती नसते. जे ग्रह मानवावर सर्वाधिक प्रभाव टाकतात, प्रतिगामी शनि, राहू-केतू आणि मंगळ हे देखील प्रतिकूल परिणाम देत नाहीत. पण हनुमानजींना प्रसन्न करण्याचा सर्वात शक्तिशाली उपाय तुम्हाला माहित आहे का? धार्मिक ग्रंथानुसार बजरंग बाणच्या प्रभावामुळे क्रूर ग्रह देखील हनुमानजींच्या भक्तांना अनुकूल परिणाम देतात, त्यामुळे निश्चित फायद्यांसाठी बजरंग बाण वाचूया-
 
बजरंग बाण
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
 

चौपाई :
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।
 
दोहा
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।।

संबंधित माहिती

सर्व पहा

नवीन

पसायदान – संत ज्ञानेश्वर महाराज

अमृतानुभव – संत ज्ञानेश्वर महाराज

नृसिंहाख्यान संपूर्ण अध्याय (१ ते १०)

शुक्रवारी या स्त्रोताचे पाठ केल्याने दारिद्र्य नाहीसे होते

आरती शुक्रवारची

सर्व पहा

नक्की वाचा

लखपती दीदी योजना बद्दल संपूर्ण माहिती

पसायदान – संत ज्ञानेश्वर महाराज

वांग्ड्निश्चय आणि सीमांत पूजन विधी

देव देवक पूजा विधी काय आहे? माहिती जाणून घ्या

मेंदी काढणे व चूड़ा भरणे सोहळा

पुढील लेख
Show comments