Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

श्री दुर्गा देवी स्तोत्रम्

Webdunia
बुधवार, 6 ऑक्टोबर 2021 (16:58 IST)
श्री गणेशाय नमः|
नगरी प्रवेशले पंडुनंदन | तो देखिले दुर्गास्थान |
धर्मराजा करी स्तवन | जगदंबेचे तेधवा ||१||
जय जय दुर्गे भुवनेश्वरी | यशोदागर्भसंभवकुमारी |
इन्दिरारमणसहोदरी | नारायणी चंडीके अंबीके ||२||
जय जय जगदंबे भवानी | मूळप्रकृती प्रणवरुपिणी |
ब्रह्मानंदपददायिनी | चिद्विलासिनी जगदंबे ||३||
जय जय धराधरकुमारी | सौभाग्यगंगे त्रिपुरसुंदरी| 
हेरंबजननी अंतरी |प्रवेशी तू अमुचिया ||४||
भक्तहृदयारविंद्रभ्रमरी | तुझिया कृपावलोकने निर्धारी |
अतिमूढ तो निगमार्थ करी | काव्यरचना अद्भुत ||५||
तुझिया आपंगते करून् | जन्मांधासी येती नयन् |
पांगुळ धावे पवनाहून | करी गमन त्वरेने ||६||
जन्माधाराभ्य जो मुका | होय वाचस्पतीसम बोलका | 
तू स्वानंदसरोवरमराळिका | होसी भाविका सुप्रसन् ||७||
ब्रम्हानंदे आदि जननी | तव कृपेची नौका करुनी |
दुस्तर भवसिंधु लंघोनी | निवृत्ती तटा नेईजे ||८||
जय जय आदि कुमारीके | जय जय मूळपीठनायिके |
सकल सौभाग्यदायिके | जगदंबिके मूळप्रकृती ||९||
जय जय भर्गप्रियभवानी | भवनाशके भक्तवरदायिनी |
समुद्रकारके हिमनगनंदिनी | त्रिपुरसुंदरी महामाये ||१०||
जय आनंदकासारमराळिके | पद्मनयन दुरितकानन पावके |
त्रिविध ताप भवमोचके | सर्व व्यापके मृडानी ||११||
शिवमानस कनक लतिके | जय चातुर्य चंपक कलिके |
शुंभनिशुंभ दैत्यांतके | निजजनपालके अपर्णे ||१२||
तव मुखकमल शोभा देखोनी | इंदुबिंब गेले गळोनी |
ब्रम्हादिके बाळे तान्ही | स्वानंदसदनी नीजवीसी ||१३||
जीव शीव दोन्ही बालके | अंबे तुवा नीर्मीली कौतुके |
जीव तुझे स्वरुप नोळखे | म्हणोनी पडला आवर्ती ||१४||
शीव तुझे स्मरणी सावचित्त | म्हणोनी अंबे तो नित्यमुक्त |
स्वनंदपद हातासी येत् | कृपे तुझ्या जननीये ||१५||
मेळवुनी पंचभूतांचा मेळ् | तुवा रचिला ब्रह्माडगोळ |
इच्छा परतता तत्काळ | क्षणात निर्मूळ करीसी तू ||१६||
अनंतबालसूर्य श्रेणी | तव प्रभेमाजी गेल्या विरोनी |
सकल सौभाग्य शुभकल्याणी | रमा रमणे वरप्रदे ||१७||
शंबरारि रिपुवल्लभे | त्रैलोक्यनगरारंभस्तंभे |
आदिमाये आदिप्रभे | सकळारंभे मूळप्रकृती ||१८||
जय जय करुणामृतसरीते | निजभक्तपालके गुणभरीते | 
अनंत ब्रह्मांडपालके कृपावंते | आदिमाये अपर्णे ||१९||
सच्चिदानंद प्रणवरुपिणी | चराचरजीव सकलव्यापिणी |
सर्गस्थित्यंतकारिणी | भवमोचनी महामाये ||२०||
ऐकोनी धर्मराजाचे स्तवन् | दुर्गादेवी झाली प्रसन्न | 
म्हणे तव शत्रू संहारून् | रीज्यी स्थापीन धर्मा तू ते ||२१||
तुम्ही वास करावा येथे | प्रकटो नेदी जनाते | 
शत्रू क्षय पावती तुमचे हाते | सुख अद्भुत तुम्हा होय ||२२||
तुवा जे केले स्तोत्रपठण् | हे जो करील पठण श्रवण ||
त्यासी सर्वदा रक्षीन् | अंतर्बाह्य निजांगे||२३||
 
इति श्री दुर्गास्तोत्र समाप्त

संबंधित माहिती

सर्व पहा

नवीन

मल्हारी मार्तंड विजय अध्याय अठरावा

मल्हारी मार्तंड विजय अध्याय सतरावा

मल्हारी मार्तंड विजय अध्याय सोळावा

मल्हारी मार्तंड विजय अध्याय पंधरावा

मल्हारी मार्तंड विजय अध्याय चौदावा

सर्व पहा

नक्की वाचा

Yearly Numerology Prediction 2025 सर्व 9 मूलांकांसाठी महिन्याप्रमाणे अंक ज्योतिष भविष्य एका क्लिकवर

Khandoba Navratri 2024 मार्तंडभैरव षडरात्रोत्सव महत्त्व आणि खंडोबाची आरती

Mulank 4 Numerology Prediction 2025 मूलांक 4 अंक ज्योतिष 2025

Mulank 3 Numerology Prediction 2025 मूलांक 3 अंक ज्योतिष 2025

Mulank 2 Numerology Prediction 2025 मूलांक 2 अंकज्योतिष 2025

पुढील लेख
Show comments